धन को लेकर उथल-पुथल सभी के जीवन में बनी रहती है, आर्थिक स्थिति को लेकर किसी न किसी तरह से परेशानी जीवन पर असर डालने वाली होती है और हम सभी जानते हैं कि पैसा किसी के जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। आज के समय में हम ऐसी दुनिया में जहां हर चीज़ की कीमत है, और इसके बिना जीना भी बहुत मुश्किलों भरा रह सकता है। धन को लेकर सकारात्मक रूप से अच्छी स्थिति पाने की इच्छा महत्वपूर्ण है। लोग धन को कमाने के लिए लगातार कोशिशों में लगे रहते हैं लेकिन अपने हर संभव प्रयासों के बावजूद, कुछ लोग पैसों को जमा नहीं कर पाते हैं और खर्चों या किसी न किसी कर्ज की स्थिति में लगातार फंसे रहते हैं। ज्योतिष का उपयोग लोग हमेशा से करते आ रहे हैं और इस की मदद से जीवन के हर क्षेत्र में मुश्किलों से निजात भी पाते आ रहे हैं क्योंकि ज्योतिष जीवन में आने वाली हर तरह की परेशानियों से बचाव का मार्ग दिखाने में सक्षम है और खराब परिस्थितियों पर काबू पाने का तरीका भी बताता है। इस लेख में डॉ विनय बजरंगी जी उन बुनियादी ज्योतिषीय कारणों पर चर्चा कर रहे हैं जिसकी वजह से व्यक्ति को अपने जीवन में आर्थिक नुकसान झेलने पड़ सकते हैं और साथ ही किसी व्यक्ति को निवेश या पैसों से संबंधी लेनदेन के दौरान घाटा क्यों उठाना पड़ता है।
ग्रहों की स्थिति का प्रभाव
अपने जीवन की घटनाओं को समझने के लिए आपको हमेशा यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि आपके जन्म के समय ग्रहों की स्थिति कैसी थी क्योंकि इस की मदद से आप अपने जीवन की हर स्थिति को समझ पाने में सक्षम होते हैं, आपके ग्रह ही आपको आपकी आर्थिक स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है। कुंडली में बृहस्पति की कमजोर या पीड़ित स्थिति के कारण धन की स्थिति परेशान कर सकती है इसके अलावा बृहस्पति का राहु से पीड़ित होना व्यक्ति की धन से संबंधित परेशानियों को दिखाता है, इसके कारण व्यक्ति पैसों के कारण परेशानी झेल सकता है और धन रुक नहीं पाता है जिसके चलते सेविंग करना मुश्किल होता है। इसी तरह, कुंडली में शनि की प्रबल स्थिति और राहु का प्रभाव समस्याओं को दिखाता है इसलिए इन ग्रहों के लिए जल्द से जल्द उपायों को कर लेना उचित होता है।
इस तरह से कुंडली में निर्मित अनेक बातें धन से जुड़ी समस्याओं या कहें बाधाओं के बारे में बताती हैं और साथ ही साथ कमजोर योगों की पहचान करने में भी मदद मिलती है जिन्हें सही समय पर किए गए उपायों और सुझावों की मदद से संभाला जा सकता है। इसलिए इन बातों को लेकर बहुत अधिक चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि अपनी कुंडली के मुख्य बिंदुओं को समझने से आपको यह जानने में मदद मिल सकती है कि ग्रहों की स्थिति में क्या कमी है और कैसे हम परिस्थितियों के अनुसार खुद को संभाल सकते हैं। इस बात को हम इस तरह से समझ सकते हैं कि उदाहरण के लिए, विशेष रूप से बृहस्पति की स्थिति को देखते हुए, हम सही समय पर फैसले ले सकते हैं जिससे मुश्किल समय को हम उचित तरह से संभाल पाएं और सही तरीके से स्थिति का सामना कर पाएं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार नियमों की अनदेखी देती है परेशानी
वास्तु शास्त्र अनुसार बताए गए नियमों को अगर ध्यान से नहीं देखा जाए तो परेशानी हमारे सामने खड़ी दिखाई देती है। वास्तु शास्त्र में घर की ऊर्जा संतुलन का एक विशिष्ट सिद्धांत है। वास्तु दोष वे कारण हैं जो धन की हानि, घाटे, अस्थिरता का कारण बन सकते हैं। वास्तु शास्त्र अनुसार अगर नियमों की अनदेखी की जाए तो पैसों से जुड़ी समस्याएं परेशान कर सकती हैं। वास्तु में घर के मेन गेट, रसोई, मास्टर बेडरूम या तिजोरी अगर गलत जगह पर स्थित होती है तो आर्थिक समस्याएं समय समय पर अपना असर डालती रहती हैं। वास्तु अनुसार इसी कारण से घर में ऊर्जाओं के खराब प्रभाव के कारण धन का आगमन बाधित हो सकता है और जीवन की प्रगति में बाधाएं या रूकावट बनी रह सकती हैं।
कई बार घरों में इस तरह के बहुत सारे वास्तु संबंधी दोष देखने को मिल सकते और अधिकांश समय इन बातों के बारे में सही जानकारी घर के मालिक को भी नहीं पता चल पाती है। उदाहरण के लिए, उत्तर दिशा में स्थित प्रवेश द्वार का थोड़ा सा भी दिशा नियमों के अनुसार बाहर होना या दक्षिण-पश्चिम स्थान का खराब स्थिति में होना अव्यवस्थित होना आर्थिक पक्ष को लेकर दिक्कत दे सकता है Vastu Tips for Home घर के लिए बताए गए वास्तु टिप्स हमें ये समझने में मदद करते हैं कि कैसे स्थान में कुछ वस्तुओं की स्थिति या व्यवस्था में बदलाव करके हम अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। वास्तु उपायों के अनुसार काम करने से धन को बनाए रखने और व्यर्थ के खर्चों से बचने में मदद मिल सकती है।
अशुभ दशाओं के दौरान धन खर्च की स्थिति
दशाओं के साथ-साथ ग्रहों का गोचर भी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए शनि, राहु या मंगल जैसे पाप ग्रहों की दशा के कारण व्यक्ति को कई बार नुकसान या अधिक खर्च की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। पाप ग्रहों की दशाओं या फिर खराब दशाओं के दौरा ऐसी स्थिति देखने को मिल जाती है जब बहुत ज्यादा खर्चे बढ़ जाते हैं, फिजूलखर्ची बढ़ने लगती है, जल्दबाजी में लिए गए धन संबंधी निर्णय गलत साबित हो जाते हैं, court/legal issues जैसी बातों के चलते अचानक से खर्च की स्थिति सामने खड़ी दिखाई देती है और कई बार कुछ जरूरी या बिना प्लानिंग की खरीदारी बचत पर दबाव बढ़ जाता है और पैसे खत्म हो जाते हैं।
इसलिए ऐसी ग्रह दशाओं के बारे में पहले से ही जान लेना उचित होता है जिसके कारण लोगों को समय से पहले ही इन घटनाओं को पहचानने में मदद मिल जाती है और वे इसके लिए उपाय करके बचाव का रास्ता भी खोज सकते हैं क्योंकि सावधानी ही जोखिम से बचने का बेहतर तरीका है। इसलिए, ऐसे समय में कुंडली का सही से विश्लेषण कर लेना ही उचित होता है। कुंडली में ग्रह दशाओं को देख कर जोखिम समय में कोई भी निवेश न करने से धन के नुकसान की भरपाई कर पाना भी संभव होता है।
कर्म बंधन का असर परेशानी का कारण
कर्मों की स्थिति को देखना कई मायनों में खास होता है और ज्योतिष भी कर्म की घटनाओं को बताने में सहयोग कर देने वाला होता है। यहां हम विशेष रूप से वर्तमान जीवन में दायित्वों को देखते हैं तो उसमें पूर्व समय के ऋण की स्थिति के बारे में भी विशेष रूप से उल्लेख मिलता है। पिछले जन्मों के कुछ कर्म या कुछ कर्मों का ठीक से निपटारा न होना धन को बनाने में बाधा बन जाता है। इन कारणों से loan and debt जैसी समस्याओं से बचने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए काम करना ही उचित होता है। कर्म बंधन का प्रभाव व्यक्ति के लक्ष्यों की प्राप्ति में अटकाव को दिखा सकता है फिर चाहे व्यक्ति कितनी भी कोशिशें कर ले काम करने और असर को बदलना मुश्किल हो जाता है। इसलिए जरूरी है कर्म के प्रभावों की पहचान की जाए और व्यक्ति को अच्छे कर्मों को करने के लिए उत्साहित किया जाए जिसमें नैतिक कार्य, दान और पैसों के लेन देन में धोखाधड़ी से दूर रहना ऐसी बातें जो कर्मों की अशुभता को दूर कर देने में सहयोग करती है।
बिजनेस पार्टनरशिप का गलत होना
बिजनेस पार्टनरशिप में अगर निर्णय ले लिए जाएं तो इन बातों के चलते धन से संबंधित परेशानी अपना असर डालने वाली होती है। बिजनेस हो या फिर आर्थिक मामलों से जुड़े संबंध इन सभी पर ज्योतिष का अलग असर दिखाई दे सकता है। ऐसा माना जाता है कि पार्टनरशिप को प्रभावित करने वाला ज्योतिषीय कारक सफलता बढ़ाने में मदद कर सकता है। लेकिन कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जो हार का कारण बन सकती हैं। पार्टनरशिप में उद्देश्यों को मिल जुल कर शांति के साथ पूरा करना और एक-दूसरे को समझना जरूरी होता है। इसलिए पार्टनरशिप में अच्छे संबंध बनाने और सफलता को पाने के लिए जन्म कुंडली के अनुसार Business partnerships as per the birth chart अच्छे से जांच करना जरूरी होता है। ज्योतिष के ये नियम विवाह से जुड़ी साझेदारी में भी लागू होते हैं। जीवन साथी के रूप में एक साथी कुछ सोच सकता है तो दूसरा कुछ और सोच सकता है ऎसे में फैसलों को बेहतर तरीके से लेने के लिए जरूरी है कि दोनों सहमति के साथ आगे बढ़ें। क्योंकि जब दोनों की बातों एक-दूसरे से मेल नहीं खाएंगी तो बेकार में संघर्ष पैदा होने लगेगा और ऐसे में आर्थिक स्थिति भी प्रभावित होगी।
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आर्थिक निर्णय लेते समय मुहूर्त की अनदेखी करना
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, सही और शुभ समय पर लिए गए फैसलों का परिणाम भी शुभ ही होता है। शुभ मुहूर्त का निर्धारण हम ज्योतिष के माध्यम से कर सकते हैं और ऐसे मामलों में तो ये बहुत खास असर दिखाता है जब हम धन से जुड़े फैसले ले रहे होते हैं। जैसी किसी व्यवसाय को शुरू करना, निवेश करना या संपत्ति में धन को लगाना ये ऐसी बातें हैं जिन्हें अगर हम शुभ मुहूर्त में करते हैं तो इसके परिणाम भी हमें अच्छे मिल सकते हैं। लेकिन अगर हम मुहूर्त की अनदेखी करते हैं और अपनी सोच अनुसार निर्णय लेते हैं तब इसके कई बार खराब परिणाम झेलने पड़ जाते है। अच्छे मुहूर्त अनुसार काम करना शुभता को देने वाला होता है।
ग्रहों की स्थिति द्वारा बाजारों के बदलाव को समझते हुए योजनाएं बनाने से आपके द्वारा की गई कोशिशें सफल होती हैं और यह सामान्य सा नियम आपको मनचाहे परिणाम प्राप्त करने की संभावनाओं को बढ़ा देने वाला होता है।
चंद्रमा- सबसे महत्वपूर्ण ग्रह
ज्योतिष अनुसार चंद्रमा का प्रभाव विशेष माना गया है क्योंकि चंद्रमा लोगों की भावनाओं के साथ-साथ उनकी मानसिकता पर भी असर डालने वाला ग्रह है। अगर चंद्रमा कमजोर हो या फिर पाप प्रभावित हो तो ऐसी स्थिति के कारण व्यक्ति सही फैसले नहीं ले पाता है। जल्दी-जल्दी खरीदारी करने के कारण गलत तरीके से धन व्यय की स्थिति से प्रभावित हो सकता है और उसकी लापरवाही से खर्चों का बोझ उस पर बढ़ सकता है। इसके अलावा चंद्रमा की निर्बल स्थिति के कारण वह आवेश में आकर उन चीजों में निवेश कर सकता है जो उसके लिए घाटे का सौदा हो सकती हैं। चंद्रमा के कारण ही उसकी बेचैनी और जुनून धन से जुड़ी समस्याओं को और भी बदतर बना सकती है। किसी व्यक्ति की कुंडली के चंद्रमा को अनुकूल बनाने से कई अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। व्यक्ति अपने पैसों से संबंधित बेहतर और अधिक संतुलित दृष्टिकोण अपना सकता है।
पितृ दोष- पूर्वजों का श्राप
धन से संबंधित परेशानियों में एक कारण पितृ दोष का होना भी है। पितरों का प्रभाव किसी व्यक्ति के जीवन में धन से जुड़े मुद्दों के लिए विशेष होता है क्योंकि ज्योतिष शास्त्र पूर्वजों के आशीर्वाद या श्राप के बारे में विस्तार से बताता है जिसमें हम जान पाते हैं कि अगर यह दोष किसी की कुंडली में बन रहा है तो व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ ग्रह और उनकी स्थिति यह संकेत दे सकती है कि संपत्ति, विरासत या पारिवारिक संपत्ति से संबंधित कोई मामला परेशान कर सकता है। पितृ दोष के कारण इन से जुड़ी बातें संपत्ति को किसी ओर को देने या उसे खोने के रूप में सामने आती हैं। दूसरी ओर इन मामलों में कुछ कानूनी समस्याएं भी अपना असर डाल सकती हैं, या फिर पारिवारिक व्यवसाय पर भी इन बातों का असर पड़ सकता है और उसे चला पाना मुश्किल होता है। इसलिए कुंडली में ऐसे कारकों का ध्यान रखते हुए काम करने की जरूरत होती है। ज्योतिष नियमों को स्वीकार करना और कर्म ऋणों को संतुलित करने पर काम करना हमें परेशानियों से बचा सकता है। इसलिए अपने पूर्वजों और परिवार के प्रति सम्मान दिखाने से हम पितृ दोष के नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं।
विशेष विचार
फाइनेंशियल लॉस का सिर्फ़ एक ही कारण हो तो ऎसा नहीं होता है। पैसों के नुकसान के पीछे गलत चीजों का चुनाव कर बैठना भी इसकी एक वजह हो सकती है लेकिन इसके साथ ही
universe कारक भी अपनी भूमिका को दिखाते हैं और ऐसी खास घटनाओं को ज्योतिषी की मदद से ही समझा जा सकता है। जब हम इसके लिए कुछ विशेष कार्य करते हैं तो इन स्थितियों से बचाव भी संभव हो पाता है इसमें हम कुछ विशेष उपाय जैसे मंत्र, पूजा, अनुष्ठान, वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन इत्यादि बातें शामिल हो सकती हैं और साथ ही डॉ. विनय बजरंगी जी से लिया जाने वाला परामर्श हमें आने वाले कल के लिए बेहतर परिणामों को पाने का सही रास्ता दिखाता है।
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